I. निम्नलिखित कवितांश पढ़कर उसके नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर लिखें।
इतिहास की सामूहिक गति
सहसा झूठी पड़ जाने पर
क्या जाने
सच्चाई टूटे हुए पहियों का आश्रय ले!
1. इन पंक्तियों की प्रासंगिकता पर टिप्पणी लिखें।
कुरुक्षेत्र युद्ध में कौरवों ने चक्रव्यूह रचा। तब अभिमन्यु ने उसे तोड़ा। लेकिन कौरव सेना के बड़े-बड़े महारथियों ने अधर्म मार्ग से उसपर आक्रमण किया। तब रथ का टूटा
पहिया ही उसका हथियार बना। आधुनिक समाज में अनेक शोषक साधारण जनता का शोषण कर रहे हैं। तब मानवीय मूल्य ही साधारण जनता के पास रहते हैं। वे इन्हीं से इन शोषकों पर वार करते हैं। नाश की ओर अग्रसर मानवसमुदाय का उद्धार मानवीय मूल्यों द्वारा ही होगा। यही मतलब है।
2. "टूटा पहिया' कविता पर टिप्पणी लिखें।
यह कविता धर्मवीर भारती की कविता संग्रह "सात गीत वर्ष' से चुनी गयी है। इस कविता में टूटे हुए पहिये के ज़रिये कवि उपेक्षित मानव को सूचित करता है, जिसे बेकार समझकर फेंक दिया जाता है।
यहाँ कवि उसकी संभावनाओं को पहचानते हैं और उसकी क्षमताओं का मूल्यांकन करते हैं। यह एक प्रतीकात्मक कविता है। महाभारत के एक वीरनायक है अभिमन्यु। वह कौरव सेना को पराजित करना चाहता था। इसकेलिए चक्रव्यूह में अकेले ही प्रवेश किया। लेकिन कौरव सेना के महारथियों ने उसे घेरकर निशस्त्र बना दिया। उसने टूटे पहिए को शस्त्र बनाकर शत्रुओं का सामना किया। इस प्रकार के अधार्मिक प्रवृत्तियाँ समाज में आज भी होते हैं। दुनिया की किसी भी चीज़ को तुछ समझकर नहीं छोडना चाहिए। वह चीज़ किसी न किसी दिन काम में आएगी।
इतिहास की सामूहिक गति
सहसा झूठी पड़ जाने पर
क्या जाने
सच्चाई टूटे हुए पहियों का आश्रय ले!
1. इन पंक्तियों की प्रासंगिकता पर टिप्पणी लिखें।
कुरुक्षेत्र युद्ध में कौरवों ने चक्रव्यूह रचा। तब अभिमन्यु ने उसे तोड़ा। लेकिन कौरव सेना के बड़े-बड़े महारथियों ने अधर्म मार्ग से उसपर आक्रमण किया। तब रथ का टूटा
पहिया ही उसका हथियार बना। आधुनिक समाज में अनेक शोषक साधारण जनता का शोषण कर रहे हैं। तब मानवीय मूल्य ही साधारण जनता के पास रहते हैं। वे इन्हीं से इन शोषकों पर वार करते हैं। नाश की ओर अग्रसर मानवसमुदाय का उद्धार मानवीय मूल्यों द्वारा ही होगा। यही मतलब है।
2. "टूटा पहिया' कविता पर टिप्पणी लिखें।
यह कविता धर्मवीर भारती की कविता संग्रह "सात गीत वर्ष' से चुनी गयी है। इस कविता में टूटे हुए पहिये के ज़रिये कवि उपेक्षित मानव को सूचित करता है, जिसे बेकार समझकर फेंक दिया जाता है।
यहाँ कवि उसकी संभावनाओं को पहचानते हैं और उसकी क्षमताओं का मूल्यांकन करते हैं। यह एक प्रतीकात्मक कविता है। महाभारत के एक वीरनायक है अभिमन्यु। वह कौरव सेना को पराजित करना चाहता था। इसकेलिए चक्रव्यूह में अकेले ही प्रवेश किया। लेकिन कौरव सेना के महारथियों ने उसे घेरकर निशस्त्र बना दिया। उसने टूटे पहिए को शस्त्र बनाकर शत्रुओं का सामना किया। इस प्रकार के अधार्मिक प्रवृत्तियाँ समाज में आज भी होते हैं। दुनिया की किसी भी चीज़ को तुछ समझकर नहीं छोडना चाहिए। वह चीज़ किसी न किसी दिन काम में आएगी।
Good
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ReplyDeleteNot yet all perfect answer. Bullshit
ReplyDeleteWell written
ReplyDeleteSuperb
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ReplyDeleteMain super tippani👍
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